मुख्यमंत्री पहुंचे गांव रोहणात में, पहली बार फहराया तिरंगा झंडा
सत्यखबर, भिवानी (अमन शर्मा )
5 अगस्त 1947 के बाद भारत देश भले ही आजाद हो गया हो, परन्तु भिवानी जिला के बवानीखेड़ा खंड के तहत पडऩे वाले गांव रोहणात के निवासियों ने कभी भी अपने आप को आजाद नहीं माना। क्योंकि 1857 की क्रांति में गांव रोहणात के लोगों ने अग्रेंज अफसरों को मारने की ऐवज में अग्रेंजों का जुल्म सहा था। अग्रेंज सैनिकों को मारने पर गांव रोहणात के 11 ग्रामीणों को हांसी के चौक पर बुल्डोजर से कुचलकर मार दिया गया था। जिसके चलते आज भी हांसी के इस मार्ग को लाल सडक़ के नाम से जाना जाता है। अग्रेंजों ने न केवल गांव रोहणात के लोगों को कुचलकर मारा, बल्कि गांव के लोगों की जमीन भी नीलाम कर दी गई थी। आजादी के बाद भी रोहणात के ग्रामीणों को उनकी जमीन नहींं मिल पाई। इसी के चलते गांव रोहणात के ग्रामीण पिछले 70 सालों से इस गांव में झंडा नहीं फहरा रहे थे। यह मामला जब मुख्यमंत्री के सामने गया तो मुख्यमंत्री ने आज खुद गांव रोहणात में पहुंचकर गांव के बुजुर्गो के हाथों 70 साल बाद गांव रोहणात में तिरंगा फहराया। इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गांव के शहीदों के सम्मान में एक करोड़ रूपये की लागत से रोहणात फ्रीडम ट्रस्ट बनाने की घोषणा की। वही गांव में चार एकड़ में बने शहीद स्मारक् को जनता को समर्पित भी किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि गांव रोहणात के लोगों की शहादत पर एक प्रेरणादायक फिल्म बनाई जाएगी, जिसका खर्चा हरियाणा सरकार वहन करेगी। वही गांव रोहणात में जनऔषधालय, गौरवपट्ट, बस क्यू शैल्टर, गांव में 2 स्वागत द्वार, तालाब व जलघर के मुरम्मत की घोषणा भी की तथा गांव को मॉडल गांव के रूप में विकसित करने की बात कहते हुए ग्रामीणों को घी के दिए जलाकर अपने आप को आजाद महसूस करने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि गांव के लोगों की नीलाम हुई जमीन का का फैसला रेवेन्यु विभाग के नियमों के अनुसार किया जाएगा। इस गावं की कहानी को शिक्षा विभाग को इस वर्ष से पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। इस अवसर पर गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों ने वे आज 70 साल बाद अपने आप को आजाद महसूस कर रहे हैं। जब मुख्यमंत्री ने खुद गांव रोहणात में पहुंचकर उनके प्रतिवर्ष तिरंगा झंडा फहराने की घोषणा की है। इसके साथ ही गांव के लोगों द्वारा दी गई शहादत को सम्मान देने के बाद अब वे अपने आप को आजाद महसूस कर रहे हैं। इसकी खुशी में वे गांव में घी के दिए जलाएंगे।